1.ऑटोमोबाइल (Automobile) क्या है? ऑटोमोबाइल की परिभाषा क्या है? (What is Automobile? What is the Definition of Automobile? In hindi)
"Automobile" In hindi अंग्रेजी भाषा का यह शब्द दो शब्दों के मेल से बना है:-
AUTO+MOBILE ~ इसमें "AUTO (ऑटो)" शब्द का अर्थ है अपने आप होना या मौजूद साधनों का उपयोग कर अपने आप अपनी शक्ति अर्जित कर गतिज ऊर्जा उत्पन्न करना और मोबाइल (Mobile Meaning in hindi) का अर्थ है "जो गति कर सके या जिसे गतिशील बनाया जा सके"।
• इस प्रकार ऐसी मशीन जो मौजूद साधनों द्वारा स्वयं को सड़क पर गतिशील बनाने के लिए अपनी गतिज ऊर्जा खुद ही उत्पन्न कर सके वह मशीन ऑटोमोबाइल (Automobile) कहलाती है, Moter Vehicle (मोटर गाड़ी) ऑटोमोबाइल का ही उदाहरण है जैसे कारें, जीप, स्कूटर, मोटरसाइकिल, ट्रक आदि।
1.1 क्या समुंद्री जहाज और वायुयान भी Automobile के क्षेत्र में आते है? (Are ships and aircraft also in the field of automobiles?)
• जी नही, समुंद्री जहाज का वाहन क्षेत्र मैरीन (Marine) है, और वायुयान का वाहन क्षेत्र एयरोनॉटिक्स (Aeronautics) है। ऑटोमोबाइल केवल सड़क पर चलने वाले मोटर वाहन (Motor Vehicle) हैं।
2.ऑटोमोबाइल का इतिहास और विकास (History and development of the automobile in hindi)
निकोलस जोसफ का अविष्कार: भाप इंजन से चलने वाली पहली 3 पाहिये की गाड़ी |
• सबसे पहले सन 1769 में निकोलस जोजफ कगनोट (Nicolas-Joseph Cugnot) ने भाप इंजन से चलने वाली तीन पहिये की गाड़ी का फ्रांस में अविष्कार किया था, जिसकी स्पीड केवल 3.6 किलोमीटर प्रति घंटा थी। भाप इंजन में उन्नति का श्रेय जेम्स वाट को जाता है, उन्होंने भाप इंजनों की शक्ति, दक्षता, और लागत में मौलिक सुधार किए।
• डैमलर बेन्जस ने सन 1885 में फोर - स्ट्रोक पैट्रोल इंजन (Four Stroke Petrol Engine) लगाकर गाड़ी बनाई। 1891 में फ्रांस की दो मशहूर कम्पनियों, रोनॉल्ट और पिगट, ने भी ऑटोमोबाइल सेक्टर में गाड़िया बनाने की शुरुआत की। अमेरिका में सन 1893 - 1895 में हैनरी फोर्ड द्वारा फोर्ड मोटर्स की स्थापना हुई और काफी मात्रा में गाड़िया बनने की लगी। 19 वीं शताब्दी में कई और देशो में भी ऑटोमोबाइल सेक्टर में विकास हुआ और मोटरगाड़िया बनने लगी। अपने देश भारत मे आजादी के बाद ही ठीक ढंग से ही मोटर गाड़िया बननी शुरू हो पाई।
3. हमारे देश भारत में मोटर गाड़िया बनाने वाली प्रमुख कंपनियों के नाम: (Major companies making motor vehicles in our country India)
1. टाटा मोटर्स - पेट्रोल कार, डीजल कार, इलेक्ट्रिक कार, लाइट कमर्शियल व्हीकल (LCV), हेवी कमर्शियल व्हीकल (HCV)
2. हिदुस्तान मोटर्स - पेट्रोल कार, डीजल कार, इलेक्ट्रिक कार, लाइट कमर्शियल व्हीकल (LCV), हेवी कमर्शियल व्हीकल (HCV)
3. बजाज ऑटो (Bajaj Auto) - बजाज पल्सर (Bajaj Pulsar), बजाज चेतक (Bajaj Chetak) आदि।
4. एस्कॉर्ट्स (Escorts) - एस्कॉर्ट्स फॉर्ड (Escorts Ford), एस्कॉर्ट्स अशोक लेलैंड (Escorts Ashok Leyland)
5. महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) - महिंद्रा थार (Mahindra Thar), महिंद्रा स्कॉर्पियो (Mahindra Scorpio) आदि,
7. अशोक लेलैंड (Ashok Leyland) - अशोक लेलैंड ट्रक (Ashok Leyland Truck), अशोक लेलैंड बस (Ashok Leyland Bus),
8. हीरो होंडा (Hero Honda) - हीरो स्प्लेंडर (Hero Splendor), होंडा सीबीजी (Honda CBZ),
9. फोर्ड (Ford) - फोर्ड एक्सीजेंट (Ford Aspire), फोर्ड एंडेवर (Ford Endeavour),
10. हुंडई (Hyundai) - हुंडई एलीट आई20 (Hyundai Elite i20), हुंडई सेंट्रो (Hyundai Santro),
उपरोक्त प्रमुख कंपनियों द्वारा हमारे भारत देश मे हर प्रकार के मोटर वाहन बनाये जाते है।
4. ऑटोमोबाइल के कार्य और उपलब्धियां। (Work and Achievements of automobiles.)
🚘 समय और श्रम की बचत- पैदल, साइकिल अथवा रिक्शा की तुलना में ऑटोमोबाइल से कम समय और कम श्रम में अधिक दूरी तय की जा सकती है।
🚛 ऑटोमोबाइल की मदद से अधिक भार वाले सामान और यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर कम समय मे स्थानांतरित किया जा सकता है इसके लिए मीडियम अथवा हेवी कमर्शियल वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे ट्रक, मेटाडोर, मिनी बस, लौ फ्लोर बसें इत्यादि।
🚜 खेती के काम मे मदद- ऑटोमोबाइल के विकास से आज खेती के कार्यो को कम समय और श्रम में निपटा लिया जाता है, इसके लिए टेक्टर बहुत उपयोगी साधन है।
5. मोटर वाहन के कितने भाग होते है? (Parts of Motor Vehicle in hindi)
• मोटर वाहन के मुख्यतः दो भाग होते है :-
Parts of Motor Vehicle |
(1) बॉडी (Body) - वाहन की बॉडी (Body) वाहन के बाहरी रूपांतरण का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसका उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ इंजन, इलेक्ट्रिकल सिस्टम, अंदर की सुविधाओं और उपकरणों को भी संरक्षित रखना होता है।
• बॉडी का निर्माण अधिकांशतः लोहे, स्टील, लकड़ी, और एल्युमीनियम आदि से किया जाता है। कारों और बसों की बॉडी लोहे से बनी होती है, और यात्रियों की सुविधा के लिए गद्देदार सीटें लगाई जाती हैं। इसे सभी तरफ़ से ढका जाता है ताकि धूप, बारिश, आदि में यात्रा आराम से हो सके।
ट्रकों और बॉडी में सिर्फ ड्राइवर का केबिन ही ढका होता है और पिछला पूरा हिस्सा खुला होता है, जिसे लोड बॉडी भी कहा जाता है। इस लोड बॉडी में सामान, माल, और अन्य वस्तुओं को रखने के लिए खुला जगह होती है।
(2) चेसिस (Chassis) - अगर किसी Motor Vehicle से बॉडी को अलग कर दिया जाए तो शेष भाग को ही चेसिस कहते है। चेसिस में ही सभी जनरल असेम्बली लगे होने के कारण, चेसिस को बिना बॉडी के भी ड्राइवर सीट लगाकर चलाया जा सकता है । इंजन, फ्यूल टैंक, एक्सेल, डिफरेंशियल, पहिए आदि सब चेसिस में ही फिट किए जाते है।
6. ऑटोमोबाइल का वर्गीकरण (classification of automobiles)
6.1 ऑटोमोबाइल का ईंधन के आधार पर वर्गीकरण (Classification of automobiles on the basis of fuel in hindi)
ऑटोमोबाइल का ईंधन के आधार पर वर्गीकरण तीन प्रकार से किया जाता है :
1. तरल ईंधन (Liquid fuels) - जैसे पेट्रोल, डीजल, इथेनॉल आदि का इस्तेमाल कर चलने वाले वाहन।
2. गैस (Gas) - सीएनजी (CNG), एलपीजी (LPG) आदि गैसों का ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर चलने वाले वाहन।
3. बिजली (Electric) - बैटरी में ऊर्जा के रूप में संग्रहित (Store) बिजली का उपयोग कर चलने वाले वाहन जिन्हें Electric Vehicle कहा जाता है।
6.2. ऑटोमोबाइल का भार ढ़ोने की क्षमता के आधार पर वर्गीकरण (Classification of automobiles on the basis of carrying capacity in hindi)
• HTV, HMV - हेवी ट्रांसपोर्ट या हैवी मोटर व्हीकल जिसमे ट्रक, बसें, डंपर आदि शामिल है।
• LTV, LMV - लाइट ट्रांसपोर्ट या लाइट मोटर व्हीकल के अंतर्गत टेम्पो, थ्री व्हीलर, मिनी बस, छोटे ट्रक, मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि आते है।
6.3 ऑटोमोबाइल का पहिये और एक्सल के अंतर्गत वर्गीकरण (Classification of Automobiles Under Wheel and Axle in hindi)
🛵 टू व्हीलर्स (Two Wheelers) - इसके अंतर्गत स्कूटर, मोटर साइकिल, मोपेड आदि आते है।
🛺 थ्री व्हीलर (Three Wheelers) - इसके अंतर्गत थ्री व्हीलर सवारी रिक्शा, टेंपो आते है।
🚎 फोर व्हीलर्स (Four Wheelers) फोर व्हीलर्स में गाड़ियों को दो प्रकार से बांटा गया है। 4×2; 4×4 इसके अन्तर्गत ट्रक, बसें, जीप, वैन आदि वाहन आते है।
पहियों एक्सेल के आधार ऑटोमोबाइल का वर्गीकरण |
• गाड़ियों को उनमें लगे पहियों और उनमें से कितने पहियों को इंजन से ड्राइव मिल रही है, के आधार पर बांटा जाता है। जैसा कि आपने सुना होगा कि 4×2 ड्राइव। (Two wheel Drive) इसका अर्थ यह हुआ कि गाड़ी में चार पाहिये लगे हुए है जिनमे से 2 पहिये ड्राइव व्हील (Drive Wheel) है, यानी पहला अक्षर व्हीलो की कुल संख्या बताता हैं और दूसरा अक्षर ड्राइव व्हीलो की संख्या। उदाहरण के लिए 4×4 का अर्थ है गाड़ी में चार पाहिये है और चारो ही ड्राइव व्हील हैं।(Four Wheel Drive)
6.4. ऑटोमोबाइल का वर्गीकरण ड्राइव सीट के हिसाब से (Classification of Automobiles by Drive Seat in hindi)
RHD | LHD |
• LHD - लेफ्ट हैंड ड्राइव (Left hand drive) - वह गाड़िया जिनका स्टीयरिंग व्हील (Steering Wheel) गाड़ी के बाएं साइड (Left Side) आगे फिट रहता है। यानी ड्राइवर लेफ्ट साइड बैठकर गाड़ी चलाता है। LHD ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, बांग्लादेश, भूटान आदि देशों में मान्य है।
• RHD - राइट हैंड ड्राइव ( Right Hand Drive) - वह गाड़िया जिनका स्टीयरिंग दाईं साइड (Right side) फिट किया रहता है। जैसा कि भारत मे बनी सभी गाड़ियां।
6.5. ऑटोमोबाइल का वर्गीकरण सस्पेंशन के आधार पर (Classification of automobiles on the basis of suspension in hindi)
(1) कन्वेंशनल सस्पेंशन (Conventional suspension) - इसमें लीफ स्प्रिंग (leaf springs) का उपयोग किया जाता है।
(2) इंडिपेन्डेन्ट (Independent) - इसमें क्वाइल स्प्रिंग (coil springs), टोरशन बार (torsion bars), एयर स्प्रिंग्स (air springs), हाइड्रोमेटिक या रबड़ सस्पेंशन आदि का उपयोग किया जाता है।
• इन सबके अतिरिक्त ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में गाड़ियों का वर्गीकरण ट्रांसमिशन के आधार पर और इंजन फिटिंग के आधार पर भी किया जाता है, जिसके बारे में हम अगले ब्लॉग में चर्चा करेंगे।