Automobile | इंजन फिटिंग के आधार पर गाड़ी का वर्गीकरण

 इंजन फिटिंग के आधार पर गाड़ी का वर्गीकरण (Classification of Vehicle with respect to Fitting of Engine)

• गाड़ियों मे इंजन तीन तरह से फिट किये जाते है:               1. इंजन आगे लगा हुआ, 2. इंजन पीछे लगा हुआ                             3. इजन मध्य में लगा हुआ 
 
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   1.1 इंजन आगे लगा हुआ वाहन                       (Front Engine Mounted Vehicle in  hindi)

यह सिस्टम तकरीबन जब से गाड़िया बननी शुरू हुई है तभी से प्रयोग किया जा रहा है और अभी तक प्रचलित है। आइये इस सिस्टम के साफ और हानि जाने -     

लाभ (Advantage of Front Engine Mounted Vehicle in hindi) - 

• गाड़ी के पहियों का वजन बराबर बंटा रहता है।

• पिछली सीट के पीछे समान रखने के लिए काफी जगह मिल जाती है।

इंजन आगे फिट किया रहता हैं इसलिए कंट्रोल्स (Controls) जैसाकि क्लच, एक्सीलेटर, स्पीडोमीटर, ऑयल प्रेशर, टेम्परेचर गेज आसानी से फिट किये जाते है।

• ऐसी गाड़ियों में रेडिएटर आगे फिट किया रहता है जिससे गाड़ी के आगे चलने पर बाहर की हवा अपने आप रेडिएटर से टकराती रहती है जिससे कूलिंग सिस्टम की क्षमता बढ़ जाती है।

• इस सिस्टम के अंतर्गत स्टीयरिंग व्हील को घूमने के लिए पर्याप्त जगह हो जाती है 


1.2 इंजन आगे ड्राइव भी अगले पहियों को        (Front-engine, front-wheel-drive)

• इस सिस्टम में लम्बी प्रौपेलर शाफ़्ट फ्लोर के नीचे नही लगी रहती है इसलिए फ्लोर की जमीन से ऊंचाई कम और उसे सीधा रखा जा सकता है।

• ऐसे सिस्टम में क्लच, गीयर - बॉक्स तथा डिफरेंन्शियल एक ही हाऊसिंग में बने रहते है, इसलिए इनकी बनावट में लागत कम आती है।

• इंजन, गीयर बॉक्स आदि का वजन ड्राइव व्हील पर होने के कारण गाड़ी की तेज गति होने पर भी सड़क पर मजबूत पकड़ के साथ चलती है (Good road holding capacity)।

1.3 हानियाँ (Disdvantage of Front-engine, front-wheel-drive): 

पहाड़ पर चढ़ते समय गाड़ी का वजन पिछले पहियो पर शिफ्ट हो जाता है, जिससे गाड़ी जम कर नही चल पाती।

पहाड़ो पर चढ़ते समय सारा वजन रियर व्हील पर शिफ्ट होने से पहियो को घुमाने की शक्ति (Tractive Effect) कम होती है और फिसलनी सड़क पर स्टीयरिंग कंट्रोल भी अच्छा नही रहता। 

Classification of Vehicle with respect to Fitting of Engine
इंजन फिटिंग के आधार पर गाड़ी का वर्गीकरण।
 

        2. इंजन पीछे लगा हुआ वाहन                        (Rear Engine Mounted Vehicle in  hindi) 

• कई गाड़ियों में इंजन चेसिस (chassis) के आगे लगाने के बजाय चेसिस के अन्त में फिट किये जाते है जिनमे से जर्मनी की बनी हुई वोल्कसवैगन (Volkswagen) बहुत ही प्रचलित कार है। इंग्लैंड में बनी हुई लेलैंड (Leyland Motors) बस चेसिस में भी इंजन पीछे फिट किया जाता है इसमें लंबी प्रौपेलर शॉफ्ट नही लगानी पड़ती और गीयर बॉक्स व डिफरेंन्शियल का एक ही यूनिट होता है लेकिन गीयर शिफ्टिंग लिवर, ऑइल प्रेशर पंप, एक्सीलेटर आदि यूनिट ड्राइवर केबिन में लगे होने के कारण काफी कठिनाई होती है। तो आइए इस सिस्टम के लाभ और हानियां जानते है -

★ लाभ (Advantage of Rear Engine Mounted vehicles )

• इंजन, गियर-बॉक्स, डिफरेंशियल (Differential)  का वजन पिछले पहियो पर ज्यादा होने के कारण गाड़ी खासतौर पर पहाड़ चढ़ते हुए जम कर चलती है।

• पिछले पहियों पर ज्यादा वजन होने पर जिस समय ब्रेक लगाते है तो पिछले पहियों का वजन अगले पहियो पर शिफ्ट हो जाता है जिससे गाड़ी जल्दी रुक जाती है।

• इस सिस्टम में लम्बी प्रौपेलर शॉफ्ट (propeller shaft) की आवश्यकता नही पड़ती जिससे गाड़ी का फ्लोर सीधा बना रहता है।

• इस सिस्टम में गाड़ी के फर्श के नीचे गीयर बॉक्स, क्लच, डिफरेंशियल लगे होने के कारण, फर्श से जमीन की ऊंचाई कम रखी जाती है, (Centre of garvity is lowerd) जिससे गाड़ी तेज गति (High Speed) से चलाई जा सकती है।

• क्लच (Clutch), गीयर बॉक्स और डिफरेंन्शियल एक ही हाउसिंग में बने रहते है और ये हाउसिंग इंजन के साथ बंधा रहता है इसलिए इसके बनाने में लागत कम आती है और ये जगह काम घेरता है।  

-- हानियाँ (Disadvantage of Rear  Engine Mounted vehicles in hindi):

• पहाड़ो पर चढ़ते समय इंजन आदि के वजन के अलावा गाड़ी का वजन भी पिछले पहियों पर शिफ़्ट हो जाता है जिससे गाड़ी के पहियों को घुमाने की शक्ति थोड़ी कम हो जाती है यानी स्टीयरिंग प्रभावित होता है।

• इस सिस्टम में इंजन, गीयर बॉक्स तथा डिफरेंन्शियल साथ-साथ बंधे होने के कारण इनमें रिपेयर और एडजस्ट (Adjust) करने में थोड़ी कठिनाई आती है। 


    3. इंजन मध्य में लगा हुआ वाहन                      (Mid Engine Mounted vehicles in hindi) 

• चेसिस के ऊपर लगे फ्लोर को पूरी तरह प्रयोग करने के लिए इंजन चेसिस के नीचे मध्य में फिट किये जाते है। ऐसी गाड़िया केवल पक्की सड़को पर चलाई जाती है, कच्ची सड़को पर नही।

दिल्ली ट्रांसपोर्ट (DTC) में आपने रॉयल टाइगर वर्ल्डमास्टर (Leyland Royal Tiger Worldmaster) बसें तो देखी ही होगी। इनमें इंजन चसिस के मध्य में फिट किये आते थे। इस सिस्टम में सड़क की धूल, मिट्टी, इंजन और रेडियेटर पर हमेशा जमी रहती है और इसकी थोड़े - थोड़े समय बाद ही सफाई करनी पड़ती है। 


           4.Tractive Effort क्या है?                   What is Tractive effort in hindi? 

ट्रैक्टिव एफर्ट (Tractive Effort) को चलती गाड़ी के ड्राइविंग पहियों के बाहरी किनारों पर बल के रूप में परिभाषित किया गया है।  दूसरे शब्दों में, यह सड़क की सतह पर कर्षण बल (Tractive Force) और लुढ़कने के प्रयास का योग है। 

ड्रॉ पुल बार फोर्स (Draw pull bar force) वाहनों के लिए लोड खींचने के लिए उपलब्ध क्षैतिज बल (Horizontal force) है।  यह बल वाहन को चलाने के लिए आवश्यक ट्रैक्टिव एफर्ट से कम है। व्हील स्लिप के बिना लागू किया जा सकने वाला अधिकतम स्वीकार्य ट्रैक्टिव एफर्ट है।

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1. Automobile|ऑटोमोबाइल क्या है, Definition, History, Classification in hindi


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