गाड़ी के टायर और ट्यूब की लाइफ (उम्र) कैसे बढ़ाये? (How to Increase Tyre and Tube Life In Hindi)
• वैसे तो टायर किसी भी वाहन का हो, जिसकी अच्छी प्रकार प्रकार से देखभाल की गई हो, काफी किलोमीटर तक चलता रहता है।
• बसों के टायर लगभग 1 लाख किलोमीटर और छोटी गाड़ियों के टायर 50-60 हज़ार किलोमीटर तक चल जाते है।
• यह सिर्फ तभी सम्भव है जब आप टायरों की देखभाल अच्छी प्रकार से करें।आइये, टायरों के रख-रखाव और नुक्सों के बारे में जाने-
1.1ओवर लोडिंग से बचें (Avoid Overloading)
• गाड़ी के अंदर उतने ही यात्री बिठायें या माल लोड करें जितनी उनकी वजन (Weight) उठाने की क्षमता हो (गाड़ी के निर्माता के अनुसार)।
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Increase tyre and tube life |
• यदि बोझ अधिक डाल देंगे तो टायर ज्यादा जल्दी गर्म हो जायेंगे, जिससे उनके अंदर लगी साइड प्लाइज (Plies) ढ़ीली पड़ कर खुल जाएंगी।
1.2 गाड़ी में गलत ढंग से माल न लोड करें।
(Avoid Wrong Loading)
• सामान ढोने वाले वाहनों जैसे कि ट्रकों में माल भरते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है कि लोड(वजन) को गाड़ी के सेंटर में रखा जाए न की केवल किसी एक टायर के ऊपर। यदि ऐसा किया जाता है तो गाड़ी का बैलेंस(संतुलन) बिगड़ेगा और वह टायर जिसके ऊपर लोड ज्यादा है वह गर्म होकर जल्दी खराब हो जाएगा। ट्रकों पर माल किस ढंग से लादा जाए यह नीचे चित्र में दिखाया गया है।
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Avoid Wrong Loading |
1.3 टायरों में ज्यादा हवा न भरें। (Over Inflation Tyre in Hindi)
• कई बार ड्राइवर जब गाड़ी में थोड़ा सा ज्यादा बोझ (Weight) डालते है, या वेसे भी, टायर के अंदर आवश्यकता से अधिक हवा भर कर चलाते हैं।
• टायर में तय मानकों से ज्यादा भरी हुई हवा न तो अधिक बोझ उठाने की क्षमता बढ़ाती है और न ही इससे टायर को अधिक ताकत मिलती है बल्कि टायर में अंदर लगी कॉर्ड को यह कमजोर कर देती है और रोड के झटके भी चेसिस में आने शुरू हो जाते है।
• इसका सबसे गलत प्रभाव जो टायर पर पड़ता है वह है कि टायर ट्रैड (Tread) की जितनी चौड़ाई सड़क पर लगनी चाहिए, हवा ज्यादा होने के कारण उतनी नही लग पाती, जिससे टायर क्राउन (Crown) के बीच वाला हिस्सा ज्यादा और जल्दी घिस जाता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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टायरों में हवा का दवाब सही रखे। |
1.4 टायर को कम हवा पर न चलाये (Under - Inflation Tyre in Hindi) -
• कई बार ड्राइवर लापरवाही से टायर प्रैशर चेक नही कराते हैं या ट्यूब (Tube) के अंदर लगा वॉल्व (valve) धीरे-धीरे लीक होता रहता है ऐसा होने पर टायर ट्रैड (Tyre-Trade) सेन्टर में तो उठी रहती है लेकिन साइडों से सड़क के साथ टच (Touch) करते हुए चलते है और जल्द ही घिस जाते है जबकि बीच वाला भाग जमीन के साथ न लगने के कारण वैसा का वैसा ही रहता है। साथ ही बोझ पड़ने के टायर की साइड की दीवारें (side walls) ज्यादा दबी रहती है जिसके कारण अंदर कॉर्ड्स (Cords) अपनी जगह से खुल जाते है, और टायर बेकार हो जाता है। इसलिए टायर के अंदर उतनी ही हवा भरनी चाहिए जितनी गाड़ी निर्माता का निर्देश हो।
अंडर - इन्फ्लेशन से टायर को कैसे बचाया जाये- (How to protect Tires from Under-Inflation) -
(1) टायरों के अंदर निर्माता के आदेशानुसार टायर में हवा का प्रैशर रखें।
(2) टायर प्रैशर को रोज चेक करते रहें।
(3) वॉल्व कैप (Valve Cap) को वॉल्व के ऊपर हमेशा टाइट रखें।
(4) अगर टायर के अंदर हल्का - सा एयर प्रेशर ड्राप (air pressure drop) होता है तो उसे खोल कर उसका निरीक्षण (Inspection) करे। ट्यूब के कमजोर होने पर उसे बदल दें और अगर वाल्व लीक (Leak) है तो फ़ौरन बदल दे।
हमेशा याद रखें हवा सस्ती है और टायर महँगा, इसलिए टायर में हवा का प्रेशर चैक करके टायर बचायें।
1.5 गर्म होने के बावजूद टायरों से हवा न निकाले (Don't bleed air from your tires, even in the hottest temperatures) -
• कई बार जब गाड़ी लम्बा सफर तय करके आती है तो टायर के गर्म होने के कारण ट्यूब के अंदर की हवा का प्रैशर बढ़ जाता है। ड्राइवर नासमझी के कारण इस अधिक प्रैशर को निकाल देते हैं। ऐसा करना बिल्कुल गलत है। कभी भी टायर में से हवा निकालकर उसका प्रैशर ठिक नही करना चाहिए। क्योंकि देखने मे ऐसा आया है कि जितना प्रैशर आप निकलते जाएंगे, तापमान (Temperature) उतना ही बढ़ता जाएगा। यह बढ़ा हुआ तापमान टायर के लिए हानिकारक रहेगा।
1.6 गाड़ी में Mechanical Fault के कारण टायरों का घिसना (Tyre wear due to mechanical fault)
• गाड़ी में खराबी होने के कारण भी टायर जल्दी घिस जाते हैं। टायर के घिसने के पैटर्न को देखते हुए कोई अच्छा मैकेनिक फॉल्ट को जल्दी दूर करके टायर की लाइफ बढ़ा सकता है। चित्र द्वारा आपको टायर घिसने का पैटर्न दिखाया गया है।
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Tire/Tyre wear due to mechanical Fault |
👉 अगर आपकी गाड़ी के टायर जल्दी घिस रहे है तो गाड़ी के निम्नलिखित भागो को चैक करें :- 👇
(1) टो-इन ओर टो-आउट (Toe-In and Toe-Out )
(2) कैम्बर और कैस्टर एंगल (Camber and Caster Angle)
(3) क्लच (Clutch) का ठीक काम न करना
(4) स्प्रिंग (spring ) के बुशो का घिस जाना।
(5) शाकल पिन (Shackle Pin) का घिस जाना।
(6) बेन्ट एक्सेल (Bent Axle)
(7) बेन्ट चेसिस (Bent Chassis)
(8) ब्रेकों का एकदम पकड़ा जाना
(Grabbing of breaks)
(9) व्हील बेयरिंग का घिस जाना (wornout Bearing)
(10) स्पिंडल (spindle) का बेन्ड होना
(11) मेन लीफ स्प्रिंग की आई (Main leaf spring - eye) का खुल जाना या टूट जाना।
(12) बोल्ट (Bolt) और आई बोल्ट (Eye bolt) का ढीला होना हो जाना।
(13) शॉक एब्जॉर्बर (shock absorber) का खराब हो जाना।
• रोटेशन ऑफ टायर (Rotation of tyres) कैसे करे?
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Rotation of Tyres |
• अक्सर गाड़ी के फ्रंट टायर स्टीयरिंग ज्योमेट्री (Steering geometry) के थोड़ा - सा भी खराब होने पर घिस जाते है जबकि पिछले वाले टायरों की ट्रेड (Trade) सख्त ब्रेक लगने के कारण किसी- किसी जगह से घिस जाता है। टायर की लाइफ बढ़ाने के लिए पीछे के टायर आगे और आगे के टायर पीछे कर देने चाहिए। इन्हें आगे पीछे किस प्रकार करते है यह आप ऊपर चित्र द्वारा देख सकते है।
1.7 गाड़ी के पहियों का बैलेंस कैसे करे? (Wheel balancing kaise kare? In Hindi)
• एक पहिया जो ठीक तरह से बैलेंस नही किया गया है गाड़ी के कम स्पीड पर चलने पर भी इतनी वाइब्रेशन पैदा कर देगा कि स्टीयरिंग पर कंट्रोल रखना मुश्किल हो जाएगा।
• गाड़ी का रिम, टायर तथा ट्यूब को एक यूनिट मान कर बैलेंस किया जाता है और जब गाड़ी फैक्टरी से निकली है तो उसके पहियो को बैलेंस करके ही निकाला जाता है।
• जब कभी पाहिये पर चोट लगे या घिसा हुआ टायर बदलना पड़े तो पाहिये को री-बैलेंस (Rebalance) कराना जरूरी है।
• गाड़ी के पहियों को कितने प्रकार से बैलेंस किया जाता है ?
~ गाड़ी के पहियों (Wheels) को 2 प्रकार से बैलेंस किया जाता है :-
(1) स्टेटिक (Static wheel balance in hindi) (2) डायनामिक - Dynamic wheel balancing
(1) स्टेटिक (Static wheel balance )
• इसे करने के लिये गाड़ी को जैक- उप करे और पहियो को हाथ से घुमाये और उसे अपने आप रुकने दें। पाहिये का वह हिस्सा जो जमीन की तरफ है उस पर चाक का निशान लगायें। इसी पाहिये को 3-4 बार घुमा कर छोड़े। अगर वही चाक के निशान वाला हिस्सा जमीन की तरफ रुकता है तो जाहिर है कि टायर का वह भाग भारी है। उस मार्क वाले हिस्से के बिल्कुल सामने वाली जगह पर धातु का बना वेट (weight) चिपका दे जो तकरीबन 1/2 औंस और 1 औंस (1 ounce = 28.35 grams) के वजन में उपलब्ध है।
(2) डायनामिक (Dynamic wheel balancing) Dynamic imbalance in hindi
• डायनामिक आउटऑफ बैलेंस पाहिया उसे कहते है। जिसमे पाहिये के या रिम के बाहर वाला कोना भारी है। ऐसे पाहिये गाड़ी को तेज स्पिन और बबल (Spin and bubble) करते है जिससे गाड़ी चलाना कठिन होता है। रन (Run) को बैलेंस करने करने के लिए टायर के भारी हिस्से के ऑपोज़िट रिम पर बाहर की और 2 और अंदर की और 3 वेट (weight) चिपकाने पड़ते है। टायर का भारी हिस्सा ढूंढने के लिए और उस के ऑपोज़िट हिस्से के अंदर और बाहर कितना वजन (weight) लगाना है, यह पता लगाने के लिए एक विशेष प्रकार की मशीन का प्रयोग करना पड़ता है।
1.8 गाड़ी को या टायर को स्टोर कैसे करे? (Storing of Vehicle or Tyre)
• यदि गाड़ी को कुछ दिनों के लिए चलाना न हो तो गाड़ी के पहियो को जैकअप कर दे और उनमें हवा भी कम कर दे और उनमें हवा भी कम कर दें। यदि गाड़ी बहुत दिनों तक न चलानी हो तो उस अवस्था मे गाड़ियों के पहियों को खोलकर ऐसी जगह रखे जहाँ, धूप, रोशनी तथा पानी न पड़े।
👉 चेतावनी (warning) गाड़ी के टायरों पर डीजल ऑइल, ग्रीस आदि नही लगी रहने देनी चाहिए क्योकि यह टायर के रबड़ को जल्दी खराब कर देते है।
1.9 ट्यूब की देखभाल और रख- रखाव कैसे करे : (care of Tubes and Maintenance)
• टायर की लाइफ बढ़ाने के लिए ट्यूब का रख - रखाव अति आवश्यक है। अगर यह हवा के प्रेशर को अपने अंदर नही रोक सके या इसका रबड़ कमजोर हो गया तो हवा लीक होने के कारण यह टायर को कम हवा पर चलाएगी जिससे टायर जल्दी खराब हो जाएगा। इसलिए बिना देरी किये ट्यूब को बदल दे क्यो ट्यूब सस्ती है और टायर महँगा।
• निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखें -
(1) नए टायर में हमेशा नई ट्यूब प्रयोग करें।
(2) टायर से ट्यूब निकालते समय वॉल्व बॉडी से पकड़कर ट्यूब को न खींचें।
(3) टायर के अंदर ट्यूब डालते समय फ्रेंच चाक (french chalk) अवश्य डालें।
(4) वॉल्व बॉडी में लगा वॉल्व लीक होने पर उसे बदलवा लें।
(5) वॉल्व बॉडी के ऊपर हमेशा कैप लगाकर रखे ताकि
वॉल्व बॉडी के अंदर मिट्टी आदि न जा पाएँ।
(6) एयर प्रेशर हमेशा अच्छी गेज से चैक करें।
(7) ट्यूब हमेशा ठीक साइज की डाले, बड़ी या छोटी नहीं।
(8) ट्यूब को टायर में डालने से पहले देखे की दोनों बिल्कुल साफ हो।
(9) याद रखें- ट्यूब का पंक्चर चैक करते समय ट्यूब के अंदर इतनी हवा न भरें की वह गुब्बारे की तरह फुल जाए। क्योंकि ट्यूब के फुल जाने पर वह जगह कमजोर हो जाएगी और वह उस जगह कमजोर हो जाएगी और यह फैला हुआ भाग टायर के अंदर डालने के बाद ट्यूब में सिलवटें डाल देगा, जिससे ट्यूब के लाइफ कम हो जाएगी।
1.10 टायरों में नाइट्रोजन गैस भरने के क्या फायदे है। (What are the benefits of filling nitrogen gas in tyres? In Hindi)
• नाइट्रोजन गंधहीन, रंगहीन और स्वादहीन गैस है, इसका प्रतीक 'N' है साधारण ताप पर यह जलती नही है और न ही अन्य धातुओं से कोई योगिक बनाता है। रासायनिक दृष्टि से यह निष्क्रिय तत्व है। काफी समय पहले से ही नाइट्रोजन गैस को हवाई जहाज़ के टायरों में भरने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। क्योंकि यह उच्च तापमान पर भी टायर में हवा का प्रेशर नही बढ़ने देता है और किसी धातु के साथ कोई क्रिया नही करता। इसलिए इसके प्रयोग से रिम तथा टायरों की उम्र बढ़ने के साथ ही ईंधन की भी काफी बचत होती है।
1.11 गाड़ी चलाने का सही तरीका :- (Good Driving Habits)
• टायर की लाइफ काफी हद तक गाड़ी चालक पर भी निर्भर है, इसलिए गाड़ी चलाते वक्त निम्न बातों का ध्यान रखें :-
(1) तेजी से मोड़ न काटे
(2) गाड़ी के पाहिये लाफ़रवाही से पटरी पर न चढ़ा दें।
(3) खराब सड़क पर, जिस पर पत्थर निकले हो, धीरे - धीरे गाड़ी चलायें।
(4) गाड़ी को आवश्यकता से अधिक न भगाये।
(5) गाड़ी सावधानी से चलाएं बार बार सख्त ब्रेक न लगायें
(6) गाड़ी को धीरे से स्टार्ट करें व एकदम एक्सीलेटर न दें।
(7) टायरों के अंदर पत्थर, कंकड़, व छोटे कील या लोहे के टुकड़े न फंसने दे।